Mysteries Of The Pyramids मिस्र के पिरामिडों का रहस्य

पिरामिडों का रहस्य :- Mysteries Of The Pyramid


आज से 4 से 5 हजार वर्ष पूर्व दुनिया के हर कोने में लगभग एक ही काल में पिरामिड बनाए गए। यह वही काल था जबकि मिस्र में पिरामिड बने थे। यह वह काल था जबकि इजिप्ट, सुमेरिया, बेबीलोनिया, मेसोपोटामिया, असीरिया, मेहरगढ़, सैंधव, पारस्य आदि प्राचीन सभ्यताएं अपने विकास के चरम पर थीं.

हम यहां बात सिर्फ मिस्र के पिरामिड की ही नहीं करेंगे बल्कि दुनियाभर के पिरामिड के रहस्यों को बताने के साथ ही बताएंगे कि आखिर क्या है पिरामिड के चमत्कार? आओ जानते हैं पिरामिडों के रहस्यों के बारे में कुछ खास.

'Mysteries Of The Pyramids Of Egypt'

स्वस्तिक है पिरामिड का प्रतीक : स्वस्तिक का आविष्कार आर्यों ने किया और पूरे विश्‍व में यह फैल गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वस्तिक अपने आप में एक पिरामिड है?
 
एक कागज का स्वस्तिक बनाइए और फिर उसकी चारों ‍भुजाओं को नीचे की ओर मोड़कर बीच में से पकड़िए। इसे करने पर यह पिरामिड के आकार का दिखाई देखा। कैसा बनेगा स्वस्तिक का पिरामिड इसका वीडियो देखें.
 
हिन्दू धर्म में स्वस्तिक को शक्ति, सौभाग्य, समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है। घर के वास्तु को ठीक करने के लिए स्वस्तिक का प्रयोग किया जाता है। स्वस्तिक के चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है। स्वस्तिक के प्रयोग से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है.
 
उत्तर और दक्षिण गोलार्ध : पिरामिड पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि सभी पिरामिड उत्तर-दक्षिण एक्सिस पर बने हैं अर्थात उन सभी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के प्रभाव को जानकर बनाया गया है। इसका भू-चुम्बकत्व एवं ब्रह्मांडीय तरंगों से विशिष्ट संबंध है।
उत्तर-दक्षिण गोलार्धों को मिलाने वाली रेखा पृथ्वी की चुम्बक रेखा है। चुम्बकीय शक्तियां विद्युत-तरंगों से सीधी जुडी हुई हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ब्रह्मांड में बिखरी मैग्नेटोस्फीयर में विद्यमान चुम्बकीय किरणों को संचित करने की अभूतपूर्व क्षमता पिरामिड में है। यही किरणें एकत्रित होकर अपना प्रभाव अंदर विद्यमान वस्तुओं या जीवधारियों पर डालती हैं। इन निर्माणों में ग्रेनाइट पत्थर का उपयोग भी सूक्ष्म तरंगों को अवशो‍षित करने की क्षमता रखता है। इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन लोग इसके महत्व को जानते थे। मतलब यह कि पिरामिड में रखी वस्तु या जीव की गुणवत्ता और उम्र में इससे कोई फर्क पड़ता होगा.
 
दल जाता है पिरामिड में रखी वस्तुओं का गुण धर्म?
विशेषज्ञों के अनुसार पिरामिड की आकृति उत्तर-दक्षिण अक्ष पर रहने की वजह से यह ब्रह्मांड में व्याप्त ज्ञात व अज्ञात शक्तियों को स्वयं में समाहित कर अपने अंदर एक ऊर्जायुक्त वातावरण तैयार करने में सक्षम है, जो जीवित या मृत, जड़ व चेतन सभी तरह की चीजों को प्रभावित करता है.
 
घरेलू पिरामिडों का शुभारंभ फ्रांसीसी वैज्ञानिक मॉसियर बॉक्सि के प्रयोग के साथ हुआ। माना जाता है कि किसी भी प्रकार के पिरामिड में रखी वस्तुओं के गुण धर्म में बदलाव आ जाता है अर्थात यदि किसी प्रकार के छोटे, बड़े, लकड़ी या मात्र कागज के पिरामिड में कोई खाद्य सामग्री रखी जाए तो उसके गुणों में बदलाव आ जाएगा और वह बहुत देर तक सड़ने से बची रहेगी। इसी कारण प्राचीन लोग अपने परिजनों के शवों को पिरामिड में रखते थे.
 
प्रयोग के लिए बताया जाता है कि जिस चीज को छोटे-बड़े पिरामिड के अंदर रखना हो, उसे आधार से करीब 2-3 इंच की ऊंचाई पर पिरामिड के मध्य में रखकर अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। पिरामिड के अंदर मध्यक्षेत्र में रखी चीजों पर पिरामिड का जादुई प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। यह क्षेत्र पिरामिड के मध्य में उसकी कुल ऊंचाई की एक-तिहाई ऊंचाई पर स्थित होता है.
 
पिरामिड की सही दिशा का निर्धारण बहुत ही महत्वपूर्ण है अतः इसका इस्तेमाल करते समय पिरामिड को उत्तर-दक्षिण दिशा में रखना आवश्यक है। अगर गलती से पिरामिड का सही दिशा में रखकर इस्तेमाल न किया जाए, तो उसमें बैठने वाले को सिरदर्द हो सकता है.
 
इस संदर्भ में अनुसंधान कर रहे चिकित्सा विशे‍‍षज्ञों का कहना है कि सिरदर्द और दांत दर्द के रोगी को सही दिशा में रखे पिरामिड के अंदर बिठाने पर वे दर्दमुक्त हो जाते हैं। गठिया, वातरोग, पुराना दर्द भी इस संरचना में संघनित ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रभाव से दूर हो जाते हैं। पेड़-पौधों पर पिरामिड के प्रभाव के अध्ययन से भी नि‍ष्कर्ष सामने आया है कि एक ही प्रकार के पौधों को अंदर तथा बाहर के वातावरण में रखने पर पिरामिड के अंदर वे कहीं ज्यादा तेजी से पनपते हैं। उसकी ऊर्जा तरंगें वनस्पतियों की वृद्धि पर सूक्ष्म एवं तीव्र प्रभाव डालती हैं.

'Pyramids of Giza'

पिरामिड के अंदर रखे जल को पीने वाले पाचन संबंधी रोग से कुछ हद तक मुक्ति पाते देखे गए हैं। यही जल जब त्वचा पर लगाया जाता है तो झुर्रियां मिटाने में लाभ मिलता है। घावों को जल्दी भरने में भी इस जल का उपयोग किया जाता है। दूसरी ओर पिरामिड के अंदर बैठकर ध्यान-साधना करने वाले साधकों पर भी कुछ प्रयोग-परीक्षण हुए हैं। पाया गया है कि इसके अंदर बैठने पर तनाव से सहज ही छुटकारा मिल जाता है और शरीर में एक नई स्फूर्ति के संचार का अनुभव होता है.
 
पिरामिड के अंदर किसी तरह की आवाज या संगीत बजाने पर बड़ी देर तक उसकी आवाज गूंजती रहती है। इससे वहां उपस्थित लोगों के शरीर पर विचित्र प्रकार के कम्पन पैदा होते हैं, जो मन और शरीर दोनों को शांति प्रदान करते हैं.
 
बीजों को बोने के पहले अगर थोड़ी देर के लिए पिरामिड के अंदर रख दिया जाए तो वे जल्दी और अच्छी तरह से अंकुरित होते हैं। बीमार और सुस्त पौधों को भी पिरामिड द्वारा ठीक और उत्तेजित किया जा सकता है.
 
मिस्र के पिरामिडों की ही तरह दुनिया में कई जगह पिरामिड बनाए गए हैं। हालांकि मिस्र जैसे पिरामिडों का निर्माण आज भी संभव नहीं है। आज तक वैज्ञानिक व इतिहासविद इस अबूझ पहेली को नहीं जान पाए कि पिरामिड के निर्माण में किस तरह की तकनीक और सामानों का प्रयोग किया गया था। यह अचरज की बात है कि हजारों साल बाद तक भी ये पिरामिड सुरक्षित हैं और इनकी चमक बरकरार है। खैर, आप जानिए आधुनिक समय में कहां-कहां बने हैं पिरामिड...
* लॉस वेगास में 4,000 कमरों वाले होटल लक्सर को पिरामिड की शक्ल दी गई है.
* पेरिस के लौवरे में शीशे (ग्लास) का इस्तेमाल करते हुए पिरामिड बनाए गए हैं.
* कजाकिस्तान में 203 ऊंचे पिरामिडों का निर्माण कराया गया है.
* भारत के पूना में ओशो आश्रम में ध्यान के लिए दो विशालकाय पिरामिड बनाए गए हैं.
 
भारत के असम में भी है पिरामिड : असम के शिबसागर जिले के चारडियो में हैं अहोम राजाओं की विश्‍वप्रसिद्ध 39 कब्रें। इस क्षेत्र को 'मोइडम' कहा जाता है। बताया जाता है कि उनका आकार भी पिरामिडनुमा है और उनमें रखा है अहोम राजाओं का खजाना। अहोम राजाओं का शासन 1226 से 1828 तक रहा था। उनके शासन का अंत होने के बाद उनके खजाने को लूटने के लिए मुगलों ने कई अभियान चलाए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए.
 
कहते हैं कि इस खजाने को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले मुगलों ने प्रयास किए। सेनापति मीर जुमला ने उनकी कब्रों की खुदाई करवाना शुरू कर दिया। उसने वहां स्थित कई मोइडमों को तहस-नहस करवा दिया, लेकिन हमले के चंद दिनों बाद ही मीर की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई.
 
इसके बाद अंग्रेजों ने भी इस कब्र को खोदकर यहां के रहस्य को जानने का प्रयास किया लेकिन उनकी भी मौत हो गई। फिर एक बार म्यांमार के सैनिकों ने हमला कर कब्र के खजाने को लूटने का प्रयास किया लेकिन उनको खून की उल्टियां शुरू हो गईं और वे सभी मारे गए.
 
39 अहोम शासक इन पिरामिडों में बनी कब्रों में चिरनिद्रा में सो रहे हैं। इन राजाओं को जिसने भी जगाने की कोशिश की, उसको मौत की नींद सोना पड़ा है। इन मोइडमों के साथ रहस्यों और दौलत की ऐसी दुनिया लिपटी हुई है कि जिसकी वजह से इन कब्रों पर बार-बार आक्रमण करने के साथ इनसे छेड़खानी की गई। जिसने भी उन कब्रों पर बर्बादी की लकीर खींची, मौत ने उसे गले लगा लिया.
 
लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि मोइडम की कब्रों में बेशुमार खजाना था जिसको लूटने की चाहना से लोग आते थे और लूटकर चले जाते थे। लूट के माल के बाद खजाने को लेकर आपस में ही झगड़कर मर जाते थे। इस तरह यहां रखा सोना पहले मुगलों, फिर अंग्रेजों और फिर बर्मा के सैनिकों ने लूट लिया.
 
हालांकि वैज्ञानिक को अभी तक यह समझ में नहीं आ रहा हैं कि पिरामिड के ऊपर ऐसा क्या है जो इतनी तेज बिजली का उत्पादन कर सकता है कि संपूर्ण पिरामिठ बिजली से रोशन हो जाए।
एक अरबी गाइड की सहायता से ग्रेट पिरामिड के सबसे उपर पहुंचे सर सीमन ने इसका खुलास किया था कि ग्रेट पिरामिड का संबंध आसमानी बिजली से है। इसी तरह गीजा के पिरामिड में ही नहीं दुनियाभर के पिरामिड अभी भी रहस्य की चादर में लिपिटे हुए हैं.

Post a Comment

0 Comments